फंस गए डॉक्टर नरेश त्रेहन, मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज, पहले गुड़गांव पुलिस भी कर चुकी है एफआईआर
नई दिल्ली
देश के जाने-माने हार्ट सर्जन और गुड़गांव के मेदांता अस्पताल के सह संस्थापक डॉक्टर नरेश त्रेहन कानून के लपेटे में आ गए हैं। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने मेदांता अस्पताल को जमीन आवंटन के संबंध में डॉ. नरेश त्रेहन और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जांच एजेंसी ने धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत एक आपराधिक मामला दर्ज किया है। डॉक्टर त्रेहन के अलावा 15 और लोगों के खिलाफ गुरुग्राम पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज करने के बाद ईडी ने यह कदम उठाया। अधिकारियों ने कहा कि पुलिस की शिकायत में दर्ज सभी आरोपियों के नाम को ईडी ने शामिल किया है।
मामला क्या है?
दरअसल गुड़गांव के सेक्टर-38 में जिस जमीन पर मेदांता द मेडिसिटी अस्पताल बना है, उस जमीन के आवंटन में गड़बड़ी का आरोप इन सभी आरोपियों पर लगाया गया है। आरोप है कि हरियाणा की तत्कालीन सरकार ने वर्ष 2004 में स्थानीय गांव वालों को बेदखल कर ये भूमि अधिग्रहित की थी और यहां गुड़गांव का सेक्टर 38 बनाया गया था। उस समय सरकार ने हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी हुडा के माध्यम से इस जमीन पर मेडिसिटी प्रोजेक्ट बनाने का विज्ञापन निकाला। इस परियोजना के तहत इस 53 एकड़ जमीन पर अंतरराष्ट्रीय स्तर का एक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, एक मेडिकल कॉलेज तथा चिकित्सा तथा अनुसंधान से जुड़े अन्य संस्थान बनाने का दावा किया गया था। इसके साथ ही एक शॉपिंग मॉल और एक यात्री निवास बनाने की बात भी उस प्रोजेक्ट में थी।
गुड़गांव के निवासी रमण शर्मा का आरोप है कि नियमों और नीतियों का उल्लंघन कर और प्रोजेक्ट की बाकी सभी संस्थाओं को दरकिनार कर सिर्फ ये जमीन सरकारी सेवकों की साठगांठ से ‘मेडिसिटी प्रोजेक्ट’ के लिए नरेश त्रेहन, सुनील सचदेवा, अतुल पुंज और अनंत जैन को अलॉट की गई और इन लोगों ने यहां सिर्फ एक पांच सितारा अस्पताल बनाकर कमाई शुरू कर दी और मेडिकल कॉलेज, रिसर्च इंस्टीट्यूट, यात्री निवास जैसी बाकी चीजें बनाई ही नहीं। रमण शर्मा का आरोप है कि त्रेहान, सचदेवा, पुंज और जैन को लाभ पहुंचाने के लिए आरोपी सरकारी अधिकारियों ने विभिन्न चरणों में योग्यता, नियम-शर्तों को ताक पर रख दिया।
शुरुआती कार्रवाई कब हुई
रमण शर्मा ने ये मामला अदालतों में उठाया और इसके बाद गुरुग्राम की अतिरिक्त सत्र अदालत के आदेश के तहत त्रेहन तथा अन्य सभी आरोपियों के खिलाफ पिछले सप्ताह पहले हरियाणा पुलिस ने मामला दर्ज किया। पुलिस ने अपनी एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 406 (आपराधिक विश्वासघात), 463, 467,468 और 471 (सभी धाराएं दस्तावेजों और रिकॉर्ड से जालसाजी से संबंधित हैं) लगाई है।
मेदांता का क्या पक्ष है
मेदांता ने मामले में लगाए गए आरोपों को गलत और स्वार्थ प्रेरित बताया है। मेदांता के एक प्रवक्ता ने पिछले सप्ताह एफआईआर दर्ज होन पर कहा था कि यह शिकायत ऐसे व्यक्ति ने दर्ज कराई है जो खुद को आरटीआई कार्यकर्ता बताते हैं। हालांकि, प्रेस में खबरें आई हैं कि अवैध वसूली के आरोप में उनके खिलाफ मामले दर्ज हुए हैं। इस शिकायत में लगाए गए सारे आरोप झूठे, निराधार और दुर्भावना से प्रेरित हैं।’
पुलिस एफआईआर में उपरोक्त लोगों के अलावा और जिन लोगों के नाम हैं वे सभी सरकारी अधिकारी हैं। एफआईआर में एसएएस इन्फोटेक, जीएल एशिया मॉरीशस, डनअर्न इनवेस्टमेंट (मॉरीशस), नरेश त्रेहान एंड असोसिएट्स हेल्थ सर्विसेज, ग्लोबल इंफ्राकॉन, पुंज लॉयड, गुड़गांव में हरियाणा शहरी विकास निगम (हुडा) के मुख्य प्रशासक, इस्टेट ऑफिसर्स-दो हुडा और सामान्य स्वास्थ्य सेवा, हरियाणा के निदेशक का भी नाम है।
कौन हैं नरेश त्रेहन
नरेश त्रेहन देश के जाने माने हार्ट सर्जन हैं जो कि भारत में निजी क्षेत्र के मशहूर अस्पतालों का हिस्सा रहे हैं। लखनऊ से एमबीबीएस डिग्री हासिल करने वाले त्रेहन ने अपने मेडिकल करिअर का एक बड़ा हिस्सा अमेरिका में काटा मगर 80 के दशक के मध्य में वो भारत लौट आए और दिल्ली में एस्कॉर्ट अस्पताल के मुखिया बन गए। तब एस्कॉर्ट अस्पताल नंदा समूह का अंग था। बाद में नंदा समूह ने अस्पताल को फोर्टिस समूह को बेच दिया तो त्रेहन वहां से अलग हो गए और कुछ दिन दिल्ली के सरिता विहार स्थित अपोलो अस्पताल का हिस्सा रहे। बाद में उन्होंने कुछ और लोगों के साथ मिलकर मेदांता की स्थापना की ओर वर्तमान में वो इस अस्पताल के सर्वेसर्वा हैं। डॉक्टर त्रेहन के पारिवारिक संबंधों की जानकारी भी पाठकों को दिलचस्प लग सकती है। डॉक्टर त्रेहन इंडिया टुडे समूह के मालिक अरुण पुरी के बहनोई हैं। डॉक्टर त्रेहन की पत्नी और अरुण पुरी की बहन मधु पुरी त्रेहन इंडिया टुडे की संस्थापक संपादक रही हैं और वर्तमान में न्यूजलॉन्ड्री नामक समाचार पोर्टल की मालिक और प्रधान संपादक हैं। ये समाचार पोर्टल अपने वामपंथी रुझान के लिए जाना जाता है और वर्तमान केंद्र सरकार का कटु आलोचक समझा जाता है।
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